केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज “डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एण्ड इंटरनेशनलाइजेशन ऑफ हायर एजुकेशन” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भाग लिया और उसे संबोधित किया। इसका आयोजन दिल्ली में टीसीएस के सहयोग से डीकिन यूनीवर्सिटी ने किया।
श्री प्रधान “डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एंड इंटरनेशनलाइजेशन ऑफ हायर एजुकेशन” विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डीकिन यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. इयान मार्टिन, ओपी जिंदल विश्वविद्यालय के श्री सुब्रमण्यम रामादुरई, संस्थापक कुलपति प्रो. सी राजकुमार, श्री मैथ्यू जॉनसन और भारत और ऑस्ट्रेलिया के अन्य विचारशील नेताओं के साथ शामिल हुए।
श्री प्रधान ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया साझा मूल्यों के आधार पर लंबे सम्बन्धों को साझा करते हैं। शिक्षा और कौशल क्षेत्रों में हमारी साझेदारी मजबूत होती जा रही है। भारत औद्योगिक क्रांति 4.0 का नेतृत्व करने की इच्छा रखता है। इस यात्रा में भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है।
श्री प्रधान ने कहा कि ज्ञान किसी भी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारतीय सभ्यता हमेशा से ज्ञान आधारित और ज्ञान पर चलने वाली रही है। इसे आगे बढ़ाते हुए, भारत एनईपी 2020 को लागू कर रहा है। आज की चुनौती 15 से 25 आयु वर्ग की विशाल आबादी को शिक्षित और कुशल बनाना है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में एक नया “डिजिटल लाइफस्टाइल” आकार ले रहा है। 2023 के अंत तक डिजिटल भुगतान में स्वदेशी 5जी से विश्व नेतृत्व तक, आगामी डिजिटल विश्वविद्यालय और हाई-स्पीड इंटरनेट के साथ सभी गांवों की नेटवर्किंग, भारत का डिजिटलीकरण नए अवसर पैदा कर रहा है।
श्री प्रधान ने नए ज्ञान नेटवर्क का भी आह्वान किया जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संस्थान भारत में कैंपस स्थापित कर रहे हैं और भारतीय संस्थान भी वैश्विक हो रहे हैं। बाद में, उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा विवेक के साथ समाज को समृद्ध किया है। हमेशा विकसित दुनिया में, भारतीय ज्ञान नेटवर्क मानवता के लाभ के लिए होगा।
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