ऊना, 11 सितंबर – हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण, शिमला के निर्देशानुसार आज एडीआर भवन, ऊना के सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऊना के सौजन्य से जांच अधिकारियों एवं यातायात पुलिस के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण शिविर में लगभग 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संदीप सिंह सिहाग ने बताया कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर निकटतम मैजिस्ट्रैट के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। इसमें गिरफ्तारी के स्थान से मैजिस्ट्रैट के न्यायालय तक व्यतीत किए गए समय की छूट मिलती है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अधिकार है कि गिरफ्तार करने वाला अधिकारी व कर्मचारी जानकारी दे कि उसे किन कारणों से गिरफ्तार किया जा रहा है। गिरफ्तारी के समय गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी का मेमो तैयार करे जिस पर कम से कम एक साक्षी का अनुप्रमाण होना चाहिए। साक्षी गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति के कुटुम्ब का व्यक्ति या जिस क्षेत्र में गिरफ्तारी हुई वहां का सम्मानित व्यक्ति हो।
इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ऊना के सचिव नव कमल ने बताया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, बालक, मानसिक रुप से अक्षम तथा ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय तीन लाख से कम है, के लिए निशुल्क कानूनी सहायता का प्रावधान है। उन्होंने निशुल्क कानूनी सहायता और पुलिस के कर्तव्यों व अधिकारों बारे विस्तार से जानकारी दी।
प्रशिक्षण शिविर में गीतिका यादव, सिविल जज कोर्ट नंबर 2 ने भी पुलिस के कर्तव्यों व गिरफ्तार व्यक्ति के कानूनी अधिकारों बारे जागरुक किया। डॉ वसुधा सूद, डीएसपी अंब ने यातायात नियमों व सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी देते हुए कहा कि दो पहिया वाहन चलाते समय हमेशा हेल्मेट पहनना चाहिए जबकि गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट का अनिवार्य तौर पर प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि गाड़ी चलाते समय दो वाहनों के मध्य एक उचित व सुरक्षित दूरी बनाए रखें। उन्होंने सड़क दुर्घटना के समय मदद के लिए आगे आने वाले गुड समेरिटन से संबंधित कानूनी पहलूओं पर भी विस्तार से जानकारी दी।
इस मौके पर अधिवक्ता सुरेश ऐरी ने भी विभिन्न कानूनी पहलूओं पर जानकारी सांझा की।
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