आवरण कथा: मनुष्य की नौंवी प्रजाति हैं हम

Spread the Message
Read Time:25 Minute, 31 Second

अमेज़न पे आज की डील्स

आवरण कथा: मनुष्य की नौंवी प्रजाति हैं हम।हमारी पौराणिक कथाओं में अक्सर एक ऐसा क्षण होता है जब हम अचानक से ‘मानव’ बन जाते हैं। ईव ट्री ऑफ नॉलेज से फल तोड़कर खाती है और उसे अच्छे बुरे का ‘ज्ञान’ हो जाता है। इसी तरह ग्रीक पौराणिक कथाओं में प्रोमिथियस मिट्टी से मानव बनाता है और उन्हें आग उपहार में देता है। लेकिन आधुनिक मूल की कहानी, विकास में, सृजन का कोई निश्चित क्षण नहीं है। इसके बजाय, मानव धीरे-धीरे, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, पहले की प्रजातियों से उभरा। मानव का विकास हमारे पूर्वजों से धीरे-धीरे, पीढ़ी-दर-पीढ़ी हुआ। किसी भी अन्य जटिल अनुकूलन की तरह चाहे किसी पक्षी का पंख हो, हाथी की सूंड़ हो या हमारी अपनी उंगलियां, हमारी मानवता लाखों वर्षों में कदम-दर-कदम विकसित हुई। हमारे डीएनए में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) हुए जो समय के साथ पूरी आबादी में फैल गए और हमारे पूर्वज क्रमशः हमारे नजदीक आते गए। इस लंबी प्रक्रिया के अंत में हमारा जन्म हुआ।

हम कुछ मामलों में पशुओं के काफी करीब हैं लेकिन हम फिर भी उनसे अलग हैं। हमारे पास जटिल भाषाएं हैं जिनके माध्यम से हम बातचीत और अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। हम रचनात्मक हैं। हम कला, संगीत, उपकरण इत्यादि बनाते हैं। हमारा सामाजिक जीवन परिवारों, मित्रों इत्यादि का एक जटिल नेटवर्क हैं, और हम एक-दूसरे की मदद करने की भरसक कोशिश करते हैं। हमें अपने बारे में और अपने ब्रह्मांड के बारे में भी बहुत कुछ पता है। इसे आप सेंटिएंस, सेपियन्स, कांशसनेस इत्यादि, चाहे जो कह लें। लेकिन इस सब के बावजूद हमारे और अन्य जानवरों के बीच का अंतर अंततः कृत्रिम ही है। हम जितना सोच सकते हैं, जानवर उससे कहीं अधिक इंसानों जैसे हैं।

ग्रेट एप्स के नाम से जाने जाए वाले बंदरों के बारे में यह विशेष रूप से सत्य है। उदाहरण के लिए, चिम्पांजी हावभाव, इशारों, आवाजें इत्यादि को मिलाकर एक सरल भाषा जैसी चीज बनाते हैं। वे कच्चे, अनगढ़ औजार भी बनाते हैं। विभिन्न समूहों के पास विभिन्न प्रकार के उपकरण होते हैं। इन्हें विशिष्ट संस्कृतियों के नाम से जाना जाता है। चिम्पांजी का सामाजिक जीवन भी जटिल होता है और वे मिल जुलकर रहते हैं। जैसा कि चार्ल्स डार्विन ने ‘द डिसेंट ऑफ मैन’ में कहा है, होमो सेपियन्स के बारे में लगभग जो भी अलग है, भावना, अनुभूति, भाषा, उपकरण, समाज इत्यादि। यह सब कुछ आदिम रूप में, अन्य जानवरों में मौजूद है। हम अलग हैं, लेकिन जितना हम सोचते हैं उससे कम अलग हैं। अतीत में, कुछ प्रजातियां अन्य वानरों की तुलना में कहीं अधिक हमारे जैसी थीं, अर्डिपिथेकस, आस्ट्रेलोपिथेकस, होमो इरेक्टस और निएंडरथल। मनुष्यों एवं मनुष्यों जैसे दिखने वाले वानरों से मिलकर बना यह समूह होमिनिड्स कहलाता था, जिसमें आज केवल होमो सेपियन्स जीवित हैं।

इस समूह में लगभग 20 ज्ञात प्रजातियां और संभवत: दर्जनों अज्ञात प्रजातियां शामिल हैं। निएंडरथल अथवा होमो निएंडरथेलेंसिस, यूरोप के ठंडे स्टेपीज के मौसम लिए अनुकूलित थे। उनका शरीर गठीला था और वे अच्छे शिकारी थे। डेनिसोवन्स एशिया में रहते थे, जबकि अधिक आदिम होमो इरेक्टस इंडोनेशिया में रहते थे, और होमो रोड्सिएन्सिस मध्य अफ्रीका में रहते थे। इनके अलावा, कई छोटे कद और दिमाग वाली प्रजातियां भी बची रहीं: दक्षिण अफ्रीका में होमो नलेदी, फिलीपींस में होमो लुजोनेंसिस, इंडोनेशिया में होमो फ्लोरेसेंसिस (हॉबिट्स) और चीन में रहस्यमयी लाल हिरण गुफा के लोग।

नेचर पत्रिका में वर्ष 2014 प्रकाशित एक लेख के अनुसार 40 हजार साल पहले ये सारी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी थीं। इन अन्य प्रजातियों का गायब होना एक मास एक्सटिंक्शन जैसा दिखता है। लेकिन ऐसी किसी तबाही मसलन ज्वालामुखी विस्फोट, जलवायु परिवर्तन, उल्कापात इत्यादि के प्रमाण नहीं मिले हैं। इसकी बजाय, इस विलुप्ति की टाइमिंग से पता चलता है कि इसके पीछे का कारण एक नई प्रजाति का आगमन था। यह प्रजाति लगभग 260, 000-350,000 साल पहले दक्षिणी अफ्रीका में विकसित हुई थी और इसका नाम था होमो सेपियन्स।

हम यह कह सकते हैं कि 40,000 साल से चले आ रहे वर्तमान के छठे मास एक्सटिंक्शन (कन्वर्सेशन डॉट कॉम, नवम्बर, 2019) की शुरुआत मानवों के अफ्रीकी से निकलकर दुनिया के अन्य हिस्सों में फैलने से हुई। इस मास एक्सटिंक्शन में हिमयुग के स्तनधारियों की विलुप्ति से लेकर अमेजन के वर्षावनों का विनाश शामिल है। लेकिन क्या इस विनाश की पहली बलि हमारे पूर्वज चढ़े थे? हम एक अत्यंत खतरनाक प्रजाति हैं। हमने विलुप्त ऊनी मैमथ, ग्राउंड स्लॉथ, डोडो इत्यादि का तब तक शिकार किया जब तक वे विलुप्त न हो गए।

हमने खेती के लिए मैदानों और जंगलों को नष्ट कर दिया और धरती की आधे से अधिक भूमि को किसी न किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाया है। साथ ही हमने धरती की जलवायु को भी बदलकर रख दिया है। लेकिन इस सबके बावजूद हम स्वयं के सबसे बड़े दुश्मन हैं क्योंकि हमारे बीच भूमि और अन्य संसाधनों के लिए जानलेवा प्रतिस्पर्धा होती आई है। चाहे रोम एवं कार्थेज की कहानी हो या ब्रिटिश उपनिवेशीकरण का किस्सा हो, यह प्रतिस्पर्धा हर जगह परिलक्षित होती है।

आशावादी लोगों ने शुरुआती मानवों को शांतिपूर्ण, सभ्य वनवासियों के रूप में चित्रित किया है। उनका तर्क है कि हमारी संस्कृति हिंसा पैदा करती है और यह हमारी प्रकृति में नहीं है। लेकिन फील्ड स्टडीज, ऐतिहासिक विवरण और पुरातात्विक अवशेष, सभी इस बात की पुष्टि करते हैं कि आदिम संस्कृतियों में युद्ध आज की ही तरह व्यापक और घातक हुआ करते थे। वेन ई ली ने अपनी पुस्तक वेजिंग वॉर कनफ्लिक्ट, कल्चर एंड इनोवेशन इन वर्ल्ड हिस्ट्री में लिखते हैं कि ‘प्रथागत युद्ध की शुरुआत तब हुई जब हमारे पूर्वज एक जगह टिककर रहने लगे।’ इसका एक उल्लेखनीय उदहारण जर्मनी का टैलहाइम डेथ पिट मसेकर है। डेथ पिट में पाए गए नवपाषाण कंकालों की जांच से पता चलता है कि ये आदि मानव किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।

वेन लिखते हैं कि आज से लगभग 57 हजार साल पहले हुए इस युद्ध का मुख्य उद्देश्य विरोधी दल की महिलाओं पर कब्जा करना था लेकिन अक्सर भोजन एवं आवास को लेकर भी लड़ाईयां होती थीं। भाले, कुल्हाड़ी और धनुष जैसे नवपाषाण हथियार, छापे और घात जैसी छापामार रणनीति के साथ मिलकर विनाशकारी रूप से प्रभावी रहे होंगे। इन समाजों में पुरुषों के बीच मृत्यु का प्रमुख कारण हिंसा थी और इन प्राचीन युद्धों में प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों की तुलना में प्रति व्यक्ति हताहत का स्तर अधिक रहता था। पुरानी हड्डियों और कलाकृतियों से पता चलता है कि यह हिंसा प्राचीन है। उत्तरी अमेरिका के 9,000 वर्षीय पुराने केनेविक मैन की कमर में भाले की नोंक मिली है। द आब्जर्वर की जनवरी, 2016 में प्रकाशित खबर के अनुसार केन्या की 10,000 साल पुरानी नटारुक साइट में कम से कम 27 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के क्रूर नरसंहार का प्रमाण मिला है।

आधुनिक मानव करीब तीन लाख साल पहले इस धरती पर पहली बार आया। हम होमो जीनस की नौवीं प्रजाति थे और हमारे आठ पूर्वज धरती पर पहले से मौजूद थे। ये आठ प्रजातियां हैं- हैबिलिस, इरेक्टस, रुडोल्फेंसिस, हाइडलबर्गेंसिस, फ्लोरेसेंसिस, निएंडरथेलेंसिस, नालेदी और लुजोनेंसिस। अब यह विलुप्त हो चुकी हैं। इनमें से कई प्रजातियां हमारी तुलना में बहुत अधिक समय तक जीवित रहीं, फिर भी हम आकर्षण का केंद्र हैं। (देखें बॉक्स: विलुप्तु का ब्लूप्रिंट)

आनुवांशिक म्यूटेशन

यह लगभग 500,000 साल पहले की बात है जब निएंडरथल और आधुनिक मनुष्यों के पूर्वज दुनिया भर में घूम रहे थे। इसी दौरान हुए एक आनुवांशिक उत्परिवर्तन अथवा म्यूटेशन हुआ जिसके फलस्वरूप उनमें से कुछ के दिमागों में असाधारण वृद्धि हुई। साइंसडाट ऑर्ग पत्रिका में सितंबर, 2022 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इस म्यूटेशन के बाद आधुनिक मनुष्यों के पूर्वज रहे होमिनिन की मस्तिष्क कोशिकाओं की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई जिसने उन्हें निएंडरथल पर एक बौद्धिक लाभ दिया होगा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को में न्यूरोलॉजिस्ट अर्नोल्ड क्रेगस्टीन कहते हैं, ‘यह आश्चर्यजनक रूप से महत्वपूर्ण जीन है।’

हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि यह उन कई अनुवांशिक बदलावों में से एक साबित होगा जिसने मनुष्यों को अन्य होमिनिन पर विकासवादी लाभ दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह मानव विकास पर एक पूरी नई रोशनी डालता है।’ जब शोधकर्ताओं ने पहली बार 2014 में निएंडरथल जीनोम को पूरी तरह से अनुक्रमित किया, तो उन्होंने ऐसे 96 एमिनो एसिड की पहचान की जो निएंडरथल और आधुनिक मनुष्यों के बीच भिन्न हैं। वैज्ञानिक इस सूची का अध्ययन यह जानने के लिए कर रहे हैं कि इनमें से किसने आधुनिक मनुष्यों को निएंडरथल और अन्य होमिनिनों को पछाड़ने में मदद की।

जर्मनी के ड्रेसडेन स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स में न्यूरोसाइंटिस्ट के रूप में कार्यरत एनेलिन पिंसन और वीलैंड हटनर का ध्यान एक विशेष जीन पर गया। यह जीन, टीकेटीएल1, एक ऐसे प्रोटीन को एनकोड करता है जो तब बनता है जब भ्रूण का मस्तिष्क पहली बार विकसित हो रहा होता है। टीकेटीएल1 के मानव संस्करण में हुए केवल एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन ने एक अमीनो एसिड को बदल दिया, जिसके परिणाम एक ऐसा एक प्रोटीन है जो होमिनिन पूर्वजों, निएंडरथल और गैर-मानव प्राइमेट में पाए जाने वाले प्रोटीन से अलग है।

टीम को संदेह था कि यह प्रोटीन तंत्रिका प्रजनन कोशिकाओं को निर्धारित कर सकता है जो न्यूरॉन्स में विकसित होते हैं। यह विशेष रूप से नियोकोर्टेक्स नामक क्षेत्र में होता है,जो संज्ञानात्मक कार्य में शामिल है। इस आधार उन्होंने तर्क दिया कि मानव पूर्वजों से आधुनिक मनुष्यों के संज्ञानात्मक विकास में इस जीन का योगदान हो सकता है। इसका परीक्षण करने के लिए, पिंसन और उनकी टीम ने टीकेटीएल1 के मानव या पैतृक संस्करण को चूहे और फेर्रेट भ्रूण के दिमाग में डाला। मानव जीन वाले पशुओं में काफी अधिक मात्रा में न्यूरल प्रोजेनिटर कोशिकाओं का विकास हुआ। जब शोधकर्ताओं ने मानव भ्रूण की नियोकोर्टेक्स कोशिकाओं को पैतृक संस्करण का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया, तो उन्होंने पाया कि भ्रूण के ऊतक ने सामान्य से कम मात्रा में प्रोजेनिटर कोशिकाओं एवं न्यूरॉन्स का उत्पादन किया। टीकेटीएल1 के पैतृक संस्करण को ब्रेन ऑर्गेनोइड्स (मानव स्टेम कोशिकाओं से विकसित मिनी-ब्रेन जैसी संरचनाएं) में डालने पर भी ऐसे ही परिणाम आए।

मस्तिष्क का आकार

जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि मानव और निएंडरथल के दिमाग लगभग एक ही आकार के थे, जिसका अर्थ है कि आधुनिक मनुष्यों के नियोकॉर्टिस या तो अधिक सघन है या तुलनात्मक रूप से मस्तिष्क का बड़ा हिस्सा घेरते हैं। हटनर और पिंसन का कहना है कि वे इस बात से हैरान थे कि इतना छोटा आनुवंशिक परिवर्तन नियोकोर्टेक्स के विकास को इतनी तेजी से प्रभावित कर सकता है। हटनर कहते हैं, ‘यह एक संयोग से हुआ उत्परिवर्तन था लेकिन इसके परिणाम व्यापक थे।’ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो में न्यूरोसाइंटिस्ट एलिसन मुओत्री इस बारे में अलग राय रखते हैं। वह बताते हैं कि ऑर्गेनोइड्स के रूप में अलग-अलग सेल लाइन अलग-अलग व्यवहार करती हैं और वे कोई राय बनाने के पहले अन्य मानव कोशिकाओं में परीक्षण किए गए टीकेटीएल1 के पैतृक संस्करण को देखना चाहेंगे। इसके अलावा, वह कहते हैं, मूल निएंडरथल जीनोम की तुलना एक आधुनिक यूरोपीय से की गई थी। दुनिया के अन्य हिस्सों के मानवों व निएंडरथल जीनोम की तुलना किए जाने की जरूरत है।

नए जीवाश्म प्रमाण

यह माना जाता है कि आधुनिक मानव ने अफ्रीका से आने के तुरंत बाद निएंडरथल का सफाया कर दिया था। फरवरी, 2022 में साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक शोध ने इस विषय पर नया प्रकाश डाला है। लुडविच स्लिमाक के नेतृत्व में 26 शोधकर्ताओं की एक टीम ने दक्षिणी फ्रांस की एक गुफा में एक बच्चे के दांत और पत्थर के औजारों की खोज की और इससे पता चलता है कि होमो सेपियन्स लगभग 54,000 साल पहले पश्चिमी यूरोप में पहुंच चुके थे। यह हमारी पुरानी जानकारी से कई हजार साल पहले है जो कि यह दर्शाता है कि दोनों प्रजातियां लंबी अवधि से साथ रहती आ रही हैं। ये अवशेष टूलूज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लुडोविक स्लिमक के नेतृत्व में एक टीम ने रोन घाटी में ग्रोट मैंड्रिन के नाम से जानी जाने वाली एक गुफा में ढूंढ निकाला था। जब उन्हें पता चला कि एक गुफा में प्रारंभिक आधुनिक मानवों के रहने के प्रमाण हैं, तो वह चकित रह गए। वह कहते हैं, ‘अब हम यह प्रदर्शित करने में सक्षम हैं कि होमो सेपियन्स हमारी अपेक्षा से 12,000 साल पहले आए थे और बाद में निएंडरथल भी यहीं आकर बस गए थे। यह इतिहास की हमारी पूरी समझ को बदल सकता है।’

लंदन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के प्रोफेसर क्रिस स्ट्रिंगर के अनुसार, यह वर्तमान दृष्टिकोण को चुनौती देता है, जो यह है कि हमारी प्रजाति ने निएंडरथल का पूरा सफाया कर दिया था। उन्होंने बीबीसी न्यूज को बताया, ‘यह रातों रात हुई घटना नहीं है। कभी निएंडरथल का पलड़ा भारी होता तो कभी मानवों का। हम उनके बीच एक बारीक संतुलन की कल्पना कर सकते हैं।’

जलवायु परिवर्तन

न्यू साइंटिस्ट में अक्टूबर, 2020 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन प्रारंभिक मानव प्रजातियों के विलुप्त होने का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। इटली में नेपल्स फेडरिको।। विश्वविद्यालय के पासक्वेल रिया और उनके सहयोगियों ने होमो जीनस में आनेवाली प्रजातियों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए जलवायु मॉडलिंग और जीवाश्म रिकॉर्ड का उपयोग किया है। इन शोधकर्ताओं ने पिछले 25 लाख वर्षों में जीवित कई प्रजातियों के अवशेषों के 2,754 पुरातात्विक अभिलेखों के डेटाबेस का उपयोग किया है।

इनमें होमो हैबिलिस, होमो एर्गस्टर, होमो इरेक्टस, होमो हीडलबर्गेंसिस, होमो निएंडरथेलेंसिस और होमो सेपियंस शामिल हैं। उन्होंने इन रिकॉर्ड्स को एक जलवायु एमुलेटर के साथ क्रॉस-रेफर किया। इस एमुलेटर में पिछले 50 लाख वर्षों के तापमान, वर्षा और अन्य मौसम डेटा का मॉडल तैयार किया गया था। इस परीक्षण का उद्देश्य प्रत्येक प्रजाति के लिए जलवायु क्षेत्र का निर्धारण करना था ताकि तापमान और वर्षा सहित कई अन्य स्थितियां जो उस प्रजाति के जीवित रहने के लिए सर्वोत्तम हों। टीम ने पाया कि होमो इरेक्टस, होमो हीडलबर्गेंसिस और होमो निएंडरथेलेंसिस, सभी ने विलुप्त होने से ठीक पहले अपने जलवायु क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया था।

पासक्वेल कहते हैं, ‘कोई भी प्रजाति तभी फलती- फूलती है जब उसके पास रहने के लिए एक बड़ा क्षेत्र हो। लेकिन जब निवास योग्य भूमि पर्याप्त न हो तो लोग छोटे छोटे इलाकों में बस जाते हैं और एक-दूसरे से दूर होते हैं। इसे हम एक्सटिंक्शन वोर्टेक्स के नाम से जानते हैं।’ टीम ने पाया कि रहने योग्य क्षेत्र में कमी अचानक हुए जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप हुई। उदाहरण के लिए होमो इरेक्टस, पिछले हिमनद काल के दौरान विलुप्त हो गया था जो लगभग 115,000 साल पहले शुरू हुआ था। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह इस प्रजाति के जीवनकाल का सर्वाधिक ठंडा समय था।

टीम ने पाया कि निएंडरथल के लिए होमो सेपियंस के साथ प्रतिस्पर्धा भी एक कारक थी, लेकिन हमारी उपस्थिति के बिना भी जलवायु परिवर्तन का प्रभाव उनके विलुप्त होने के लिए पर्याप्त हो सकता है। पासक्वेल कहते हैं कि अपने आसपास के पर्यावरण को नियंत्रित करने की क्षमता रखने वाली प्रजातियां, जैसे कपड़े पहनकर या आग लगाना आदि भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अतिसंवेदनशील थीं। हालांकि इस अध्ययन में प्राप्त डेटा में कुछ अंतराल हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एकमात्र कारण नहीं था।

वाशिंगटन डीसी में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में कार्यरत बर्नार्ड वुड कहते हैं कि निएंडरथल के अलावा, अध्ययन की गई अन्य प्रजातियों के लिए शायद ही कोई जीवाश्म सबूत मिला हो। वह कहते हैं, ‘इन प्रजातियों के लोग कई ऐसी जगहों पर भी रहते होंगे जिनके जीवाश्म रिकॉर्ड हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, किसी प्रजाति की विलुप्ति का समय उसके आखिरी अवशेष मिलने के समय से मेल खाए यह आवश्यक नहीं है।

भविष्य का मानव कैसा होगा इसे लेकर कयास लगाने का सिलसिला पुराना है। चाहे आर्थर सी क्लार्क के विज्ञान गल्प हों या हॉलीवुड, सबने अपने अपने हिसाब से भविष्य के मानव की परिकल्पना की है। अतीत में धर्म और जीवन शैली के कारण आनुवंशिक रूप से भिन्न समूह विकसित हुए हैं। उदाहरण के लिए यहूदी और जिप्सी। आज हम राजनैतिक दलों में बंटे हैं पर क्या यह हमें आनुवंशिक रूप से बांट सकती है? क्या उदारवादी और ट्रम्प समर्थक अलग अलग प्रजातियों में विकसित हो सकते हैं ? ऐसे कई सवाल हैं जिनका उत्तर हमें भविष्य में ही मिलेगा लेकिन एक बात तय है कि हम पहली ऐसी प्रजाति हैं जो ऐसे सवाल पूछ रही है।

http://dhunt.in/EkZst?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “डाउन टू अर्थ”

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post Budh Gochar: बुध ग्रह ने किया शुक्र की राशि में प्रवेश, इन 3 राशि वालों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
Next post 0 .5 ग्राम चिट्टे के साथ 2 ब्यक्ति गिरफ्तार
Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
error: Content is protected !!