भारी वजन उठाने से युवाओं को हो सकती है स्पाइनल इंजरी, ऐसे करें बचाव।हमारे रोजमर्रा की बातचीत में यह खूब सुनने में आता है कि किसी व्यक्ति कोस्लिप डिस्क की समस्या हो गई है.।जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी रीढ़ की कशेरुकाएं (Vertebrae), जिनके बीच मौजूद एक डिस्क के आकार की संरचना को इंटरवर्टेब्रल डिस्क कहा जाता है, तरल पदार्थ को अवशोषित (Absorb) करने की क्षमता खो देती है जिससे वह सीधी नहीं रह पाती. यही वजह है कि उम्र के साथ हमारी कुछ ऊंचाई कम हो जाती है. इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारियों से ऑस्टियोफाइट्स का निर्माण होता है. चोट और खिंचाव के कारण डिस्क अपनी मूल जगह से खिसक कर तंत्रिका संरचनाओं को संकुचित कर दर्द का कारण बन सकती है.
स्लिप डिस्क से चलने या संतुलन बनाने की क्षमता प्रभावित
स्लिप डिस्क सर्वाइकल एरिया में डिस्क की जगह के आधार पर ऊपरी या निचले अंगों के नीचे रेडिएटिंग पेन (दर्द) का कारण बनती है. रेडिएटिंग पेन का मतलब है वह दर्द जो शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाता है. यह ऊपरी या निचले अंगों में सुन्नता और झुनझुनी भी पैदा कर सकता है. गंभीर संपीड़न (severe compression) के मामले में चलने या संतुलन की हमारी क्षमता प्रभावित हो सकती है.
ऐसे में जितनी जल्दी हो सके एक न्यूरोसर्जन से मिलना चाहिए. पूरी तरह से क्लिनिकल एग्जामिनेशन के बाद CT या MRI जैसे कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है, जो आमतौर पर डायग्नोसिस को सुनिश्चित करते हैं.
ट्रीटमेंट ज्यादातर नॉन-सर्जिकल होता है
इसका इलाज लोगों के डर के विपरीत ज्यादातर नॉन-सर्जिकल होता है. इसमें ओरल मेडिकेशन, गर्म सेंक, फिजियोथेरेपी, लाइफस्टाइल या पोस्चरल करेक्शन, वजन घटाने की थेरेपी या इंजेक्शन थेरेपी जैसे कई तरीके के इलाज शामिल हो सकते हैं. केवल यदि संपीड़न गंभीर है और इसके लक्षण भी तब ही हम सर्जरी कराने की सलाह देते हैं. इन दिनों अल्ट्रा मॉडर्न माइक्रोस्कोप इंस्ट्रूमेंट (उपकरणों) और तकनीकों की उपलब्धता से न्यूरोसर्जरी बहुत सुरक्षित और असरदार हो गई है, जिससे बिस्तर पर ज्यादा दिन बिताए बिना जल्द ठीक होकर मरीज फिर से सामान्य जीवन जी सकता है. सर्जरी के जरिए स्लिप डिस्क की आसपास की संरचनाओं को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना हटा दिया जाता है.
यह सब एक बहुत छोटा चीरा लगाकर और लेटेस्ट माइक्रोस्कोप और एंडोस्कोपिक तकनीकों का इस्तेमाल करके पूरा किया जाता है.
लाइफस्टाइल मैनेजमेंट
लैपटॉप और कंप्यूटर के लगातार बढ़ते इस्तेमाल की वजह से लोग घंटों बैठकर काम करते हैं. गलत पोस्चर में बैठकर घंटों काम करने से हमारी पीठ को नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा इसके चलते मोटापा भी महामारी की तरह फैल रहा है जो उन युवाओं को ज्यादा प्रभावित कर रहा है जो जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीते हैं. स्लिप डिस्क से बचने के लिए हमें अपना वजन कम करना होगा और अपने पोस्चर को सही रखना होगा.
स्लिप डिस्क के मामले आजकल युवाओं में आम होते जा रहे हैं, इसकी मुख्य वजह है उनकी खराब जीवन शैली और गलत पोस्चर में बैठकर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करना. इसके अलावा इसकी एक और वजह है, वह लोग जो एक्टर्स की तरह बॉडी बनाने के लिए घंटों जिम में एक्सरसाइज करते हैं वह भी इसका शिकार हो सकते हैं. दरअसल एक्सरसाइज के दौरान उनकी पीठ को गंभीर चोट पहुंचती हैं जिससे स्लिप डिस्क हो सकती है.
स्वस्थ रहने के लिए एक अच्छी जीवनशैली बहुत जरूरी है.
(लेखक डॉ हिमांशु अरोड़ा फरीदाबाद के एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में न्यूरो सर्जरी और स्पाइन के एसोसिएट डायरेक्टर और यूनिट हेड हैं.)
http://dhunt.in/DBJDZ?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “TV9 Bharatvarsh”
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