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राजनीति अर्थात राज करने की नीति, राजनीति शब्द का तार्किक अर्थ यही है । राज करने वाला व्यक्ति अर्थात ‘राजा’ प्रजा के सुख-दुख में उनके साथ खड़ा होता है ।राजनीति पौराणिक समय से चली आ रही है जिसमें राज करने वाला व्यक्ति अक्सर अपने ऐश-ओ-आराम के हितों को साधते हुए भी जनसेवा का भाव मन में लिए होता है ।
यह राजनीति ही है जिसके चलते भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास भोग, ये राजनीति ही है जिसमें पांडवों ने 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास झेला लेकिन वर्तमान समय में राजनीति शब्द लोकतांत्रिक शैली में जुड़ा जिसे लेकर राज करने वाले नेता ने अपने ऐश-ओ-आराम का तो ख्याल रखा लेकिन जनता के हितों की परवाह करना अपना कर्तव्य नहीं समझा । वे यह बात भूल गए कि राज करते समय ऐश-ओ- आराम करना तो उनका अधिकार तो है लेकिन राज करते वक्त जनता के हितों के लिए खुद को न्योछावर करना भी राजनेता का कर्तव्य होता है। दुर्भाग्यवश वर्तमान लोकतांत्रिक ढांचे में एक राजनेता जनता के मतों से चुना जाता है लेकिन चुनने के बाद किए गए विकास कार्यों की दुहाई देते हुए वह अगली बार फिर से सत्तासीन होना अपना अधिकार समझता है जबकि वह यह भूल जाता है की जनता ने उसे जनहित कार्यों के लिए ही चुना था। जनप्रतिनिधि चुने जाने के बाद अक्सर नेताओं को अपने विकास कार्यों को गिनाते हुए फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए धौंस जमाते देखा जाता है जबकि वे राजनेता इस बात को भूल जाते हैं कि उन्हें जनता ने इन्हीं विकास कार्यों को पूरा करने के लिए चुना था ।
दोस्तों, लोग अपने जीवन-यापन के कार्यों के चलते अपने भगौलिक व सामाजिक विकास के लिए एक राजनेता का चुनाव करते लेकिन उस नेता की सत्ता पर काबिज होने के बाद अक्सर जनता को उनके दरबार में जाते वक्त उनके पैर छूते हुए देखा जाना आम बात है।
मैं डॉक्टर जनक राज अपने क्षेत्र की माटी के उन मूलभूत विकास कार्यों को लेकर अपने परिवारिक विकास की चिंता छोड़ इस मैदान में उतरने को तैयार हूं। मैं आपको यकीन दिलाता हूं जिस भगौलिक और सामाजिक विकास का सपना आप लोग मुझे लेकर देख रहे हैं मैं उन विकास कार्यों की गिनती अपने दूसरे चुनाव जीतने के लिए नहीं करवाऊंगा क्योंकि मैं समझता हूं कि अगर मुझे जनता चुनाव जीता कर क्षेत्र के नेतृत्व करने का अवसर प्रदान करती है तो ऐसे में क्षेत्र का भौगोलिक और सामाजिक विकास करना मेरा दायित्व बन जाता है ।
मैं राजनीति की इस परिभाषा को बदलने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाकर अपने क्षेत्र के हितों की लड़ाई लड़ने के लिए इस अग्नि में खुद को झोंकने के लिए तैयार हूं क्योंकि मैं मानता हूं कि जिस सपने को साकार करने के लिए मैं राजनीति में आना चाह रहा हूं उस सपने को मैं पूरा करने का अपना शत-प्रतिशत दूंगा। बावजूद इसके मैं आपको वचन देता हूं मैं अपने कार्यकाल में करवाए गए विकास कार्यों की धौंस जनता में नहीं जताऊंगा क्योंकि मैं समझता हूं कि जनता अगर मुझे प्रतिनिधि के रूप में चुनती है तो जनता को मुझसे समाज के उस आर्थिक और भौगोलिक विकास की उम्मीद है। मैं अपने कर्म, वचन और आत्मीयता से राजनीति के इस तथाकथित दलदल में करने को झौंकने के लिए तैयार हूं क्या आप मेरा साथ देंगे?
आपका डॉक्टर जनक राज
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