विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर ने भारत में अफ्रीकी मिशनों के साथ अफ्रीकी शोधकर्ताओं के लिए सी वी रमन इंटरनेशनल फैलोशिप (सीवीआरएफ) कार्यक्रम पर आयोजित गोलमेज चर्चा में इस बात को रेखांकित किया कि अफ्रीका के साथ काम करने से भारत को हमेशा लाभ हुआ है और पारस्परिक रूप से यह लाभकारी संबंध न केवल विज्ञान व प्रौद्योगिकी बल्कि व्यापार, संस्कृति और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी आगे बढ़ते संबंधों के लिए लाभदायक हैं।
डॉ. चंद्रशेखर ने बताया, “विदेश मंत्रालय और हमारे अफ्रीकी मित्रों के साथ मिलकर डीएसटी, सीवी रमन फैलोशिप, प्रशिक्षण कार्यक्रम और अकादमिक व वैज्ञानिक संस्थानों को मजबूत करने जैसे विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर काम कर रहा है। मेरी इच्छा है कि सीवी रमन फैलोशिप जर्मनी के अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट फेलोशिप की तरह लोकप्रिय हो।”
भारत वाणिज्य व उद्योग महासंघ (फिक्की) के माध्यम से भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग व विदेश मंत्रालय ने भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के तहत अफ्रीका व भारत के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के जरिए मानव क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने को लेकर अफ्रीकी शोधकर्ताओं के लिए सीवी रमन फैलोशिप कार्यक्रम शुरू किया है।
इस फैलोशिप का उद्देश्य अफ्रीकी शोधकर्ताओं को भारतीय वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान व विकास संस्थानों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान करने का एक अवसर प्रदान करना है। इसके साथ ही विज्ञान व प्रौद्योगिकी में भारत और अफ्रीकी देशों के बीच के संबंध को और अधिक मजबूत करना भी है।
डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि यह फैलोशिप कार्यक्रम लोगों के बीच आपसी जुड़ाव बढ़ाने और एक दूसरे से सर्वश्रेष्ठ अभ्यास सीखने के लिए है। उन्होंने इस कार्यक्रम को फिर से आयोजित करने के प्रावधान का अनुरोध किया, जिससे यह संबंध एक लंबी यात्रा तय कर सके। इसके अलावा उन्होंने इस कार्यक्रम के भागीदार फिक्की से अतिरिक्त धनराशि की उपलब्धता के लिए रास्ता तैयार करने का भी अनुरोध किया।
भारत में अफ्रीका के उच्चायोगों/दूतावासों के आयुक्तों/राजदूतों/प्रतिनिधियों के साथ-साथ डीएसटी और फिक्की के अधिकारियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया और फैलोशिप के बारे में चर्चा की।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री पुनीत कुंडल ने जोर देकर कहा कि यह कार्यक्रम अफ्रीका के लिए भारत की प्रतिबद्धता का एक और प्रतिबिंब है। उन्होंने अफ्रीकी मिशन के देशों से विश्वविद्यालयों और संस्थानों के जरिए फैलोशिप का प्रचार करने का अनुरोध किया, जिससे इसके लिए अधिक आवेदन प्राप्त हो सकें।
डीएसटी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रमुख श्री एस के वार्ष्णेय ने भारत-अफ्रीका विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी ढांचे व इसकी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। साथ ही सीवीआरएफ कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया।