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किन्नौर जिला को टी.बी मुक्त बनाने के लिए 12 सितम्बर से 2 अक्तूबर, 2022 तक विशेष अभियान चलाया जाएगा जिसके तहत घर-घर जाकर टी.बी. एक्टिव केसा र्फाइंडिंग की जाएगी ताकि जिले में टी.बी मरीजों की पहचान हो सके तथा उनका समय पर उचित उपचार सुनिश्चित हो सके। यह जानकारी आज यहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. रोशन लाल ने दी।
उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पूरे भारत को टी.बी. मुक्त बनाने का लक्ष्य वर्ष 2030 रखा गया है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व टी.बी. सम्मिट में घोषणा की है कि भारत को वर्ष 2025 तक पूरी तरह से टी.बी रोग से मुक्त कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा प्रदेश को वर्ष 2024 तक टी.बी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना आरंभ की गई है जिसके तहत पिछले तीन वर्षों से प्रदेश में हर वर्ष टी.बी उन्मूलन के लिए साल में दो बार विशेष अभियान चलाया जाता है जिसे एक्टिव केस फाईंडिंग का नाम दिया गया है।
उन्होंने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए किन्नौर जिला में 110 टीमों का गठन किया गया है जिसमें हैल्थ वर्कर्ज के अलावा एक आशावर्कर को शामिल किया गया है जो घर-घर जाकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें काफी दिनों से खांसी हो रही है का सैम्पल लेंगे व सैम्पल की जांच के उपरांत यदि किसी व्यक्ति में टी.बी के लक्षण पाए जाते हैं तो उसका उपचार आरंभ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टी.बी के मुख्य लक्षण दो सप्ताह से ज्यादा खांसी होना, शाम के समय बुखार आना, खांसते समय बलगम में खून आना, छाती में दर्द या सांस फूलना, गर्दन या बदन में गांठे होना, भूख व वजन कम होना है।
उन्होंने सभी जिलावासियों से टी.बी. मुक्त हिमाचल अभियान को सफल बनाने में अपना सहयोग देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि लोगों के सहयोग से ही हम किन्नौर जिला को टी.बी मुक्त बना सकते हैं।
इस दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सुधीर ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा टी.बी रोगियों को उपचार की अवधि में निक्षय पोषण योजना के तहत एक मुश्त 750 रुपये और 500 रुपये प्रतिमाह पोषण सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने इस अभियान को सफल बनाने में सभी जिलावासियों से सहयोग का भी आवाह्न किया है।