काउंटर एफिडेविट हुआ फाइल और गलत शपथ पत्र देने के लिए नामांकन रद करने की उठी माँग।
सुबह कांग्रेस के प्रत्याशी चन्द्र सेखर जी ने अपनी फ़ेसबुक पे एक पोस्ट भी शेयर की थी जिस में लिखा था कि
आम घर के बच्चों को गिराने के लिए कैसे-कैसे षड्यंत्र किए जाते हैं उसका एक छोटा सा नमूना। लेकिन याद रखो इस बार महामाई ज्वाला साया बनकर साथ चली है इसलिए तुम्हारी एक ना चलने वाली। आप जानते हैं भारतीय जनता पार्टी धर्मपुर में हर तरह से झूठ का सहारा लेकर अपने निक्कम्मे उमीदवार को जिताना चाहती है। हार के डर से इन्होंने लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए दूसरा चंद्रशेखर ढूंढ लिया और उससे नॉमिनेशन फ़ाइल करवा दिया। इस बात का खुलासा इस बात से हो रहा है कि रजत के एफिडेविट की स्टाम्प पेपर संख्या 463951 है तो दूसरे इन भाईसाहब के एफिडेविट की संख्या 463952 है। इसी तरह नोटरी वाले वकील ने 352 सीरियल नंबर रजत को लगाया और 353 इन भाईसाहब को जिनका नाम चंद्रशेखर है और उम्र भी उतनी ही है जितनी हमारे प्रिय नेता चंद्रशेखर की है। पर कहते हैं न चोर चोरी करता है तो निशान जरूर छोड़ देता है। जिस बंदे से इन्होंने दोनों स्टाम्प पेपर खरीदे उसने रजत के स्टाम्प पेपर पर अपनी मोहर और सीरियल नंबर लगा दिया पर जो वो फरेब के लिए दूसरा खरीद रहे थे उसपर उसने न स्टाम्प वेंडर ने अपनी मोहर लगाई न उसमें जरूरी सीरियल नंबर डाला। पर इस जालसाजी को न नोटरी वाले वकील ने पकड़ा न निर्वाचन अधिकारी (SDM) धर्मपुर ने। जबकि जहां तक जानकारी मिली है स्टाम्प वेंडर की मोहर, हस्ताक्षर और सीरियल नंबर के बिना कोई भी एफिडेविट मान्य नहीं होता। अब यह निर्वाचन अधिकारी को देखना है कि वो इस जालसाजी से की गई उमीदवारी को मान्यता देते हैं या फिर जालसाजों को सजा, पर जनता सब जान चुकी है। इस बार हर झूठ का जवाब सच के साथ मिलेगा। याद रखो तुम जितनी साजिश व षड्यंत्र करोगे जीत उतनी ही शानदार भाई चंद्रशेखर को मिलेगी।
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