Himachal Election 2022: पिछले 50 साल में कभी विपक्ष में नहीं रहा हिमाचल के इस हलके का विधायक, देखिए आंकड़े।तबसे लेकर अब तब की बात करें तो इतिहास गवाह है कि अब तक हुए विधानसभा चुनाव में सुलह की जनता ने कभी भी विधायक रिपीट नहीं किया है। इसमें चाहे प्रदेश का दो बार प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ही क्यों न हों। सुलह को अपनी गंगोत्री मानने वाले शांता को भी हलके की जनता ने हार का स्वाद चखाया था।
कभी विपक्ष में नहीं बैठा यहां का विधायक
यदि इतिहास के पन्नों को खंगालें तो पिछले 50 साल में यहां सिर्फ चार उम्मीदवारों का ही वर्चस्व रहा है। इनमें भाजपा से शांता कुमार व विपिन परमार, कांग्रेस से स्वर्गीय मान चंद राणा व जगजीवन पाल शामिल हैं। इस दौरान एक अन्य उम्मीदवार स्वर्गीय कंवर दुर्गा चंद भी रहे हैं। हलके की सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह रही है कि यहां का विधायक आज दिन तक कभी भी विपक्ष की सीट पर नहीं बैठा है। यानी जिस दल की प्रदेश में सरकार बनती है सुलह की जनता ने अपना विधायक भी उसी सत्तासीन सरकार का बनाया है।
तब 125 मत से मिली थी जीत
आंकड़ों की बात करें तो पहली बार 1995 में चुनाव मैदान में कूदे विपिन परमार को हार का सामना करना पड़ा था और उन्हें कंवर दुर्गा चंद ने मात दी थी। जगजीवन पाल के साथ भी ऐसा ही हुआ था। वह भी पहली बार 1998 में विपिन परमार से महज 125 मत से हारे थे। छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए विपिन परमार पिछले करीब 25 साल से दबदबा बनाए बैठे हैं। जगजीवन पाल के अपने ओबीसी वर्ग में अच्छी पैठ है और इसका उन्हें फायदा मिलता रहा है।
कांग्रेस से ये टिकट की दौड़ में
सुलह कांग्रेस की बात करें तो यहां कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां टिकट की दौड़ में पूर्व सीपीएस एवं विधायक जगजीवन पाल, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिपहिया व संजय चौहान हैं। जगदीश सिपहिया वैसे तो आलमपुर के जगरूपनगर के निवासी हैं, लेकिन उन्होंने पिछले कुछ समय से भवारना के नजदीक पुन्नर में मकान बनाया है। यदि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बात करें तो वह फिलहाल दबी जुबान से पैराशूटी नेता की किसी भी सूरत में सुलह में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करने की बात कर रहे हैं लेकिन यह सब कांग्रेस की टिकट मिलने के बाद ही साफ होगा। फिलहाल सुलह की टिकट को आलाकमान ने होल्ड पर रखा है।
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